नई दिल्ली : देशभर में बिजली संकट के खतरे के बीच केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह अरविंद केजरीवाल और कुछ अन्य विपक्षी नेता सिर्फ अफवाह फैलाकर राजनीति करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने ईटीवी भारत से खास बातचीत में उन्होंने केजरीवाल पर निशाना साधते हुए कहा कि यह तथ्य है कि केजरीवाल ने बिजली को लेकर जो पीएम मोदी को पत्र लिखा है, यह पूर्णत: राजनीति से प्रेरित है, क्योंकि पीएम मोदी के पत्र प्राप्त करने से पहले यह पत्र मीडिया में जारी हो गया था.
उन्होंने कहा कि मुझे कल शाम उपराज्यपाल से पत्र के बारे में जानकारी मिली थी. वे तथ्यों को भी नहीं जानते हैं, इसलिए उन्हें पहले तथ्यों का पता लगाना चाहिए. बिजली को लेकर दिल्ली में कुछ हुआ उसपर केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बवाना में स्थित उनके गैस आधारित संयंत्र में से एक का गैस की आपूर्ति के लिए गेल के साथ समझौता हुआ था, जोकि समाप्त हो रहा है, इसलिए गेल कार्यालय ने उन्हें एक संदेश भेजा कि निश्चित तिथि से उनकी गैस आपूर्ति बंद कर दी जाएगी, क्योंकि अनुबंध का नवीनीकरण नहीं किया गया था.
ऊर्जा मंत्री ने कहा कि जिसके बाद टीपीडीडीएल के सीईओ घबरा गए और उन्होंने एक संदेश प्रसारित किया कि दिल्ली को बिजली कटौती का सामना करना पड़ सकता है. केंद्रीय मंत्री ने कहा कि अगर एक संयंत्र बंद हो जाता है, तो बिजली की आपूर्ति कभी बाधित नहीं होती है, क्योंकि हमारे पास भंडार है. उन्हें मंत्रालय से संपर्क करना चाहिए था.
बिजली का कोई संकट नहीं
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि बिजली संकट को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर भ्रम फैलाने का आरोप लगाया और कहा कि बिजली का कोई संकट नहीं है और कोयले का पर्याप्त स्टॉक है. दिल्ली में जितनी बिजली की आवश्यकता है, उतनी बिजली की आपूर्ति हो रही है और होती रहेगी.
केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके ने बीएसईएस, एनटीपीसी और बिजली मंत्रालय के अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. यह बैठक एक घंटे से अधिक चली. इसके बाद आरके सिंह ने मीडिया को जानकारी और आश्वासन दिया कि ईंधन पर्याप्त भंडार है और कोयले या गैस की आपूर्ति के कारण कोई व्यवधान नहीं होगा.
कोयले की आपूर्ति के बारे में बात करते हुए, आरके सिंह ने कहा कि किसी भी अप्रिय स्थिति या कमी से निपटने के लिए साढ़े चार दिन का रिजर्व स्टॉक रखा जा रहा है. हमें अपनी खपत के लिए प्रतिदिन कोयला मिलता है और हमारी खपत लगभग 1.75 मिलियन टन प्रतिदिन है, जो हमें मिलती है और कभी-कभी अतिरिक्त आपूर्ति भी की जाती है जो आरक्षित स्टॉक में जाती है.
28 मिलियन घरों को बिजली से जोड़ा गया
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह एक सामान्य चक्र है कि हमें आपूर्ति मिलती है और हम भंडार बनाते हैं क्योंकि बारिश के मौसम में आपूर्ति कम होती है, क्योंकि खदानों में पानी भर जाता है. अच्छी बात यह है कि बिजली की मांग बढ़ी है, क्योंकि हमने मोदी सरकार के कार्यकाल में 28 मिलियन घरों को बिजली से जोड़ा है. अब वे बिजली के उपकरण खरीद रहे हैं और बिजली की खपत कर रहे हैं, जो अच्छी बात है.
कांग्रेस शासित पंजाब ने भी कोयले की आपूर्ति के बारे में चिंता जताई, क्योंकि नव नियुक्त सीएम चरणजीत सिंह चन्नी ने कोयले आपूर्ति की कमी के बारे में शिकायत की थी. उनका समर्थन करते हुए पूर्व बिजली मंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कमलनाथ आए, जिन्होंने कहा कि अगर कोयले की आपूर्ति सुनिश्चित नहीं हुई तो मध्य प्रदेश बिजली संकट के कगार पर है.
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कमलनाथ पर किया पलटवार
कमलनाथ को उनके इस बयान पर पटलवार करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश के पास वास्तव में जरूरत से ज्यादा बिजली है, जिसे मध्य प्रदेश अन्य राज्य के साथ साझा करता है. एमपीसीसी अध्यक्ष को पहले तथ्यों की जांच करनी चाहिए और उन्हें पता होना चाहिए कि मध्य प्रदेश में जरूरत से ज्यादा बिजली है और उन्होंने 19 अरब यूनिट बेची हैं.
उन्होंने कहा कि हम स्थिति की निगरानी कर रहे हैं और अगर किसी राज्य को और बिजली की जरूरत है तो उन्हें वह मिल जाएगी. भले ही पंजाब को अधिक बिजली की आवश्यकता हो. पंजाब को बरसात के मौसम में अधिक बिजली की आवश्यकता थी और हमारे पास पर्याप्त बिजली भी उपलब्ध थी, लेकिन पंजाब ने बिजली के हस्तानांतरण के लिए समुचित प्रबंधन नहीं किया है, जिसकी वहज की बिजली का हस्तानांतरण नहीं हो पाया.
केंद्रीय मंत्री ने पंजाब और दिल्ली सरकार दोनों पर तंज कसते हुए कहा कि उन्हें अपनी क्षमता निर्माण पर ध्यान देना चाहिए और समझौतों को समय पर नवीनीकृत करना चाहिए. उन्हें खुद पर शर्म आनी चाहिए. वे अपना काम कुशलता से नहीं करते हैं और फिर वे शिकायत करते हैं. उन्होंने कहा कि मंत्री ने आश्वासन दिया कि बिजली उत्पादन के लिए पर्याप्त ईंधन उपलब्ध है और राज्यों को समय पर आपूर्ति निर्बाध रूप से जारी रहेगी.
केजरीवाल ने पीएम मोदी को लिखा था पत्र
बता दें, शनिवार को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा था कि कोयले की कमी के कारण राष्ट्रीय राजधानी के लोगों को बिजली संकट का सामना करना पड़ सकता है. साथ ही उन्होंने राष्ट्रीय राजधानी में बिजली की आपूर्ति करने वाले उत्पादन संयंत्रों में कोयला और गैस पहुंचाने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हस्तक्षेप करने का आग्रह किया था.
गौरतलब है कि बिजली वितरण कंपनी टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रिब्यूशन लिमिटेड (टीपीडीडीएल) के मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) गणेश श्रीनिवासन ने भी शनिवार को कहा था कि देशभर में कोयले की कमी के कारण बिजली उत्पादन कम हो गया है और आने वाले दिनों में दिल्ली में बारी-बारी से बिजली कटौती हो सकती है.